लेखनी प्रतियोगिता -05-Nov-2023 जीवन से बड़ा स्वाभिमान
कैंसर की बीमारी से जूझ रही तीन बेटियों की मां विधवा लाजवंती के सामने एक विकट समस्या उस समय आ जाती है जब उसकी मंजिली बेटी के ससुराल वाले कहते हैं कि "हमें इसी महीने अपने बेटे की शादी करनी है, क्योंकि लड़के को विदेश से एक अच्छी नौकरी का ऑफर आया है।"
लाजवंती इतना अच्छा रिश्ता ठुकराने की सपने में भी नहीं सो सकती थी, लेकिन विधवा लाजवंती के सामने रुपए पैसों की समस्या थी, क्योंकि वह जवानी में ही विधवा हो गई थी, इसलिए मेहनत मजदूरी करके पति की छोटी सी परचून की दुकान को चला कर उसने पहले अपनी बेटियों को अच्छी तरह पाल पोस कर बड़ा किया था और अपनी बड़ी बेटी की शादी बहुत धूमधाम से की थी, उसकी सबसे छोटी बेटी कि डॉक्टर बनने की इच्छा थी, इसलिए अपनी छोटी बेटी की पढ़ाई पर वह आंख मिच कर पैसा खर्च कर रही थी और अपने जीवन की सबसे बड़ी समस्या अपनी कैंसर की बीमारी के अच्छी तरह इलाज पर भी उसे पैसा खर्च करना पड़ रहा था, आज तक उसने जो भी अपनी बेटियों और अपने लिए किया था वह सब अपनी मेहनत लगन ईमानदारी से किया था।
वह अपना घर संसार पति के दिए हुए आखिरी सहारे छोटी सी परचून की दुकान से ही यह सब बड़े-बड़े कार्य कर रही थी, इसलिए जब भी वह उस दुकान को देखती थी तो उसे ऐसा लगता था, जैसे उसका पति उस दुकान के सहारे अपने परिवार की मदद कर रहा है।
अब उस से अपनी कैंसर की बीमारी की वजह से दुकान चलाना भी बहुत मुश्किल हो रहा था, उसे आए दिन अस्पताल के चक्कर काटने पड़ते थे, इस वजह से परचून की दुकान से आमदनी नाम मात्र की रह गई थी।
और जो कुछ भी उसने रुपया पैसा जेवर बैंक में जमा कर रखा था, वह उसके कैंसर के इलाज में खर्च हो रहे थे, इसलिए विधवा लाजवंती को मजबूरन गांव के बेईमान भ्रष्ट साहूकार के पास अपनी मंजिली बेटी की शादी के लिए कर्जा मांगने जाना पड़ता है।
साहूकार लाजवंती की मजबूरी का फायदा उठाते हुए कहता है "अपनी जवान खूबसूरत सबसे छोटी बेटी को एक सप्ताह के लिए मेरी पत्नी बना दो, तो मैं तेरे से ब्याज भी नहीं लूंगा और आधा कर्जा भी माफ कर दूंगा।"
लाजवंती उसकी यह बात सुनकर उसी समय उसके जोरदार थप्पड़ मार कर वहां से अपने घर वापस आ जाती है और बिना सोचे समझे जो उसने बैंक में रुपए जमा कर रखे थे, वह रुपए उसके कैंसर की ईलाज में काम आ रहे थे, वह उन्ही रुपयों से अपनी मंजिली बेटी की शादी कर देती है।
और पति के पूर्वजों के मकान और पति की आखिरी निशानी दुकान को अपनी तीनों बेटियों के नाम कर देती है और थोड़े बहुत सोने चांदी के गहने दोनों बेटियों की शादी करने के बाद जो बचे थे, वह छोटी बेटी को दे देती है, ताकि उनको बेचकर वह अपनी डॉक्टर की पढ़ाई जारी रखें।
और कैंसर का अच्छी तरह ईलाज न होने की वजह से एक दिन लाजवंती की मौत हो जाती है, तो इस तरह स्वाभिमानी स्त्री लाजवंती अपने और अपने पति के खानदान के स्वाभिमान की रक्षा करती है।
Punam verma
06-Nov-2023 07:34 AM
Very nice👍
Reply